22 बागियों के इस्तीफे और दो विधायकों के निधन से खाली हुईं दो सीटों के साथ ही प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर अब छह माह के भीतर उपचुनाव होंगे। जिन 22 बागियों ने इस्तीफे दिए, उनमें से 18 ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं। यानी अब इन 18 का भविष्य उपचुनाव पर टिक गया है। संभवत: मई-जून में चुनाव आयोग उप चुनाव करा सकता है। इनके नतीजे तय करेंगे कि नई सरकार बहुमत में रहेगी या अस्थिरता के बीच झूलेगी। 18 में से 16 सीटें ग्वालियर-चंबल की हैं और इस क्षेत्र में सिंधिया का खासा प्रभाव है। उपचुनाव में सिंधिया के साथ ही यहां केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और शिवराज सिंह चौहान फैक्टर भी काम करेंगे। कांग्रेस सिंधिया के बिना ही इन सीटों पर उपचुनाव में उतरेगी।
तब भाजपा में की थी सेंधमारी
उपचुनाव में एक पक्ष यह भी है कि विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस ने सबसे बड़ी सेंधमारी भाजपा के ग्वालियर-चंबल संभाग में की थी। यहां उसने 34 विधानसभा सीटों में से 26 जीती थीं। भाजपा को सिर्फ 7 ही मिली थीं। तब उसे दलित-सवर्ण आंदोलन, भाजपा के खिलाफ एंटी इनकमबेंसी और उसके अंतर्कलह का फायदा मिला था। इससे उलट, 2013 में भाजपा को 20 सीटें मिली थीं।
कांग्रेस की रणनीति...नाथ-दिग्गी ही ताकत
चंबल के नेताओं ड. गोविंद सिंह, केपी सिंह, रामनिवास रावत, अशोक सिंह समेत फूल सिंह बरैया को कमलनाथ और दिग्विजय के नेतृत्व में अपनी ताकत झोंकनी होगी। मालवा की सीटों पर सज्जन सिंह वर्मा और जीतू पटवारी एक्टिव रहेंगे।
राज्यसभा चुनाव... भाजपा की दो सीटें
विधायक नारायण त्रिपाठी व शरद कौल शुक्रवार को भाजपा नेताओं से मिले। अब भाजपा का संख्या बल 107 हो गया। 22 इस्तीफों से उसका राज्यसभा की दो सीटें जीतना तय है।